अगर आपसे पूछा जाए कि आज आप सबसे ज्यादा इसके बारे में सुनते हैं? जी हां आपका जवाब द कश्मीर फाइल्स ही होगा। हां कश्मीर पैकेज आज कल हर जगह हैं। हालाँकि फ़िल्मों के बारे में हज़ारों वर्ड-ऑफ़-माउथ लेख अखबारों में प्रकाशित हुए हैं और दिन भर टीवी पर फ़िल्म समाचार प्रकाशित हुए हैं जबकि यह फ़िल्म जन आंदोलन की 1990 की फ़िल्म की कहानी पर आधारित है। इस फिल्म ने भी बॉक्स ऑफिस पर खूब धमाल मचाया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन फिल्म निर्माताओं के लिए यह करना कितना मुश्किल रहा है । अपनी प्रेस विज्ञप्ति में विवेक अग्निहोत्री ने फिल्म बनाने के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी । इस फिल्म को बनाने में उनकी सबसे बड़ी चुनौती रही है इस फिल्म को बनाने के लिए शोध करना । वे यह भी नहीं जानते थे कि इस फिल्म के लिए शोध करें तो करें कहां से।
क्या है फिल्म द कश्मीर फाइल्स से जुड़ी वह सच्चाई, जिसे सुनकर चौंक रहे हैं सभी
उन्होंने इस फिल्म के लिए 5000 घंटे की रिसर्च की और ढेर सारे लोगो के इंटरव्यू किए। इसके लिए उन्होंने कम से कम 15000 दस्तावेज एकत्र किए थे और उन्होंने सभी दस्तावेजों का अलग-अलग तरीकों से अध्ययन करने की योजना बनाई थी और साथ ही साथ 700 से अधिक कश्मीरी पंडितों के साक्षात्कार रिकॉर्ड करने की योजना बनाई थी जिन्हें इस यातना का शिकार बनाया गया था। यदि कोई सबूत मांगता है तो वे आपको उनके 700 टेप किए गए साक्षात्कार दिखाने के लिए भी तैयार हैं।
फिल्म के निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने खुद उठाया राज़ से पर्दा
इस फिल्म को बनने में उन्हें 4 साल लग गए । छोटे दृश्यों को बड़ी सावधानी से फिल्माया जाना था और कश्मीरी पंडित अत्याचारों के खिलाफ 1990 की फिल्म 11 मार्च को सिनेमाघरों में लगी। फिल्म लगने के बाद लोगो ने इस फिल्म को बहुत चाव से देखा और फिल्म देखने के बाद जब लोगो ने अपने सगे संबंधी और मित्रों को बताया होगा उसके बाद फिर क्या था फिर तो बस थिएटर में लोगो का जमावड़ा लग गया और तब से लगभग 150 के आस पास के करीब इस फिल्म ने कमाई की है और यह फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई है
हालाँकि कश्मीर फाइल्स का बहुत ज्यादा प्रचार नहीं किया गया था । लेकिन इस फिल्म को सबसे ज्यादा लोकप्रियता हासिल हुई और इसके साथ और सामने जितनी भी फिल्में और आ रही है वो सब कमाई के मामले में पीछे छूट रही है ।