मुंबई नगरी को सपनों की नगरी कहा जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर बहुत से लोग आते हैं। अपने बड़े-बड़े सपने लेकर और उन्हें साकार भी करते हैं ऐसे ही सपने लेकर इस शहर में कदम रखा था हिंदुस्तान के एक सबसे बेहतरीन हास्य कलाकार जॉनी लीवर ने भी जॉनी लीवर को फिल्मों में अभिनेताओं की मिमिक्री करने में महारत हासिल है।
जानिए कैसे पड़ा जॉनी का नाम जॉनी लीवर
जॉनी लीवर अपनी गजब की टाइमिंग और हास्य शैली के लिए जाने जाते हैं और उनके फैंस उन्हें बेहद पसंद करते हैं जॉनी लीवर किसी भी उदास इंसान को भी हंसने पर मजबूर कर देते हैं जॉनी ने सन 1982 में अपने हिंदी करियर की शुरुआत की थी उसके बाद 1993 में बाजीगर फिल्म में बाबूलाल के किरदार ने उन्हें लोगों के बीच काफी लोकप्रिय बना दिया उन्होंने अभी तक 350 से भी अधिक फिल्मों में काम किया है और दो फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं ,आइए चलिए आज आपको ले चलते हैं जॉनी लीवर के जिंदगी की हर बर बताते हैं उन्होंने कैसे मेहनत कर बनाया अपना नाम ।
बचपन से गरीब परिवार से रखते थे संबंध
जॉनी लीवर का जन्म 14 अगस्त 1956 को हुआ था आंध्र प्रदेश के प्रकाशन जिले में जॉनी के पिता का नाम राव जनमुला था और उनकी माता का नाम और उनकी माता का नाम करुणा जन्माला था जॉनी हिंदुस्तान लीवर फैक्ट्री में काम किया करते थे उनका जीवन मुंबई नगरी के धारावी के इलाके में बीता वह एक बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे और इसी के कारण अपने पिता की आर्थिक स्थिति को समझते हुए भी हिंदुस्तान युनिलीवर की फैक्ट्री में काम करने लगे ।हिंदुस्तान लीवर की फैक्ट्री में ही काम करते समय एक बार उन्होंने अपने उच्च अधिकारियों की नकल उतारी और तभी से उनका नाम जॉनी लीवर हो गया इसके बाद उन्होंने यह नाम जारी रखा जॉनी लीवर का विवाह सुजाता से हुआ और उसके बाद उनके एक बेटे और एक उनकी बेटी का जन्म हुआ ।
जॉनी की बेटी का नाम जेमी है और बैक स्टैंड अप कॉमेडियन है तथा उनके बेटे का नाम जैस है ।
ऐसे मिली जॉनी के सपनो को उड़ान
जॉनी लीवर अक्सर बड़े-बड़े फिल्म अभिनेताओं की मिमिक्री किया करते थे हवाओं ने इसी काम में महारत हासिल थी इसकी वजह से ही उन्होंने स्टेज शो में अपना यह टैलेंट लोगों के आगे साझा किया उनकी इसी खासियत को देखकर एक स्टेज शो के दौरान सुनील दत्त की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने 1982 में अपनी फिल्म मेजवानी को काम दिया तब से लेकर आज तक जॉनी ने साडे 350 से अधिक पिक्चरों में काम किया है सन 1993 में बाजीगर फिल्म में बाबूराव के किरदार ने उन्हें काफी लोकप्रिय बनाया उसके बाद में लगभग 1 सहायक अभिनेता के रूप में हर फिल्म में एक हास्य अभिनेता के रूप में देखे गए। उनकी पहली फीचर फिल्म तमिल में थी ।
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