दोस्तों! दान से बढ़कर इस दुनिया में कोई महान कार्य नहीं है| दान देने वाला सदा के लिए महान हो जाता है| दान तो इतने पुण्य का कार्य है की इससे आप किसी भूखे की भूख मिटा सकते हैं, एक प्यासे की प्यास मिटा सकते हैं, और किसी को जीवन दान भी दे सकते हैं| ऐसी ही कहानी है गुजरात के सूरत के वासी 14 वर्षीय धार्मिक की| यूँ तो धार्मिक आज हम सबके बीच नहीं है, पर इस दुनिया को अलविदा कहते कहते यह बालक वो कार्य कर गया जिसकी शायद हम और आप कल्पना भी नहीं कर सकते|
जाते जाते धार्मिक हमें सिखा गया ज़िन्दगी लम्बी नहीं बल्कि बड़ी होनी चाहिए
यूँ तो धार्मिक आज केवल तस्वीर में सिमट कर रहे गया है, पर जाते जाते यह हमें बहुत कुछ सिखा गया| ज़िन्दगी में अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन जो जाते जाते दूसरों को नया जीवन दे जाएँ, वे हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं| धार्मिक की अभी उम्र ही क्या थी, महज़ 14 वर्ष का यह बालक जो अभी दसवीं में पढ़ता था वो इस दुनिया को अलविदा कह गया, पर इसने जाते जाते ६ लोगों की जान बचा ली| धार्मिक के ब्रेन डेड होने के बाद इसके माता पिता ने धार्मिक के अंग दान करने का फैसला लिया, जिससे 6 लोगों को नया जीवनदान मिला| ये अपने घर के चिराग को तो ना बचा सके, लेकिन दूसरों के घर में अँधेरा होने से बचाकर सदा के लिए महान हो गए|
बहुत ही बड़ा दिल है धार्मिक के माता पिता का
धार्मिक काफी समय से बीमार था और उसकी दोनों किडनियां भी खराब हो चुकी थीं| अचानक जब धार्मिक की ताब्यात बिगड़ी तो उसके माता पिता उसे अस्पताल लाये, जहां डॉक्टरों ने धार्मिक की जांच कर उसे ब्रेन डेड घोषित किया| जब इसकी खबर सूरत के डोनेट लाइफ संस्था को पता चली, तो वे समय पर अस्पताल पहुंचे, और धार्मिक के माता पिता से अपने बेटे के अंगदान करने की अनुमति मांगी| उनका बेटा अब लौटने वाला नहीं था, इसीलिए माता पिता भी राज़ी हो गए और अपने बच्चे के अंग – फेफड़े, लिवर, हार्ट, नेत्र, और दोनों हाथ दान करने का फैसला लिया|
अंग दान करने के बाद तुरंत तीन कॉरिडोर बनाये गए और समय पर इन अंगों को वहां पहुँचाया गया जहां जहां इनकी ज़रूरत थी, और 6 लोगों की जान बचायी गयी| आज काकड़िया परिवार का 14 वर्ष का बेटा चला गया है, लेकिन वह सबको एक सबक दे गया की दान से बड़ा कोई धर्म नहीं|