आज के दौर में लिविंग लेजेंड माने जाने वाले अमिताभ बच्चन बहुत सी कठिनाओ को पार करके इस स्तर पर पोहचे है । उनके प्रशंसकों और दुनियाभर की माशुहूरता को देखकर ऐसा लगता है जैसे बिग ब जन्म से ही इतने मशहूर है पर ऐसा भी आज वोह इस मुकाम पर है तो अपनी खुद की मेहनत और साहस की वजह से।
क्यों नही मिलता था फिल्मों में काम?
अमिताभ बच्चन की फैन फॉलोइंग सिर्फ उनकी एक्टिंग की वजह से ही नहीं पर उनके अच्छे कद और जानदार आवाज़ की वजह से भी पर बहुत कम लोग यह बात जानते है की यहीं दोनो चीज़े जो आज उनकी खुभियों में गिन्नी जाति है जिनकी लोग तारीफ करते हुए नही थकते उन्ही की वजह से कभी अमिताभ को कई नौकरियों के लिए अस्वीकार किया गया। दरअसल उस दौर में हीरो के रोल के लिए लंबे कद वालो को स्वीकार नही किया जाता यहां तक की आकाशवाणी में भी उनको रेडियो जॉकी की नौकरी नही मिली। इन रिजेक्शंस की वजह से अमिताभ का आत्मविश्वास भी दामादोल हो गया।
बॉलिवुड का द्वार खुला
1969 में आखिरकार अमिताभ की किस्मत का दरवाज़ा खुला और उन्हे “साथ हिंदुस्तानी” नाम की फिल्म मिली। इस फिल्म ने नाही सिर्फ़ उनका आत्मविश्वास बढ़ाया बल्की नैशनल अवॉर्ड से समान दिलाया, पर राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के बाद भी उन्हें फिल्मी में काम ना मिला। पूरे दो साल इंतजार करने के बाद आखिरकार उन्हे “आनंद” व “ज़ंजीर” जैसी लाजवाब फिल्मों में हिस्सा बनने का मौका मिला जो की उनके कैरियर के लिए काफी फायदेमंद रहा।
शूटिंग के दौरान हुआ हादसा
जब आखिरकार उन्होंने कामियाबी की सीढियां चढ़ना शुरू किया तब वक्त का पइया फिर घुमा और फिल्म “कूली” की शूटिंग के दौरान उनके साथ घातक हादसा हुआ जिसके चलते उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया। डॉक्टर्स और परिवार वालो ने तो जैसे उम्मीद छोड़ दी थी पर कुद्रत का करिश्मा कहो या लोगो की दुआओं का असर अमिताभ को जैसे नई ज़िंदगी मिल गई। उस दौरान से ही अमिताभ के घर के बाहर फैंस की भीड़ जमा हो जाती थी । इस हादसे से उभरते के बाद आज तक अमिताभ हर रविवार अपने फैंस से मिलने के लिए अपने घर के बाहर आकर हाथ जोड़ कर सभी से मिलते है और फैंस के लिए तो जैसे साक्षात भगवान के दर्शन हो गए।
नहीं छोड़ी उम्मीद
जब ज़िंदगी की गाड़ी फिर सही रास्ते पर चलना लगी थी तभी सन् 2000 में उनकी फिल्में फ्लॉप हुई व उन्हे अर्थव्यवस्था का सामना करना पड़ा फिर भी हमारे बिग बी ने हार नहीं मानी और डटे रहे , धीरे ही सही पर फिर से उनकी फिल्मी गाड़ी के पहिए चलने लगे और वह कई बड़ी फिल्मों का हिस्सा भी बन्ने। उनकी इस दौर की बड़ी फिल्मों में शामिल है पिंक , बदला और वजीर जैसी कई फिल्में।