फ़िल्मी दुनिया इतनी भी ग्लैमरस नहीं है जितनी आप बाहर से देखते हैं। जो यहां जाता है वही यह चीज़ अनुभव कर सकता है की यहां काम पाने के लिए क्या क्या करना पड़ता है. हो सकता है अगर आप इसी इंडस्ट्री से शुरुआत से ताल्लुक रखते हैं तो आपके लिए यह सब आसान हो, लेकिन यदि यहां कोई बाहर से अपनी पहचान बनाने आया है, तो उसे कई यातनाएं झेलनी पड़ सकती हैं. यदि आप अपने पसंदीदा अभिनेता या अभिनेत्री को उनकी भूमिकाओं और ऑन-स्क्रीन दिखावे के लिए पसंद करते हैं, तो यह एक चौंकाने वाला आश्चर्य हो सकता है कि वे वास्तविक दुनिया में इस ऑन स्क्रीन दिखावे के लिए कई चीज़ों से गुज़रते हों.
हो गया है फ़िल्मी दुनिया का पर्दा फाश, यहां काम पाने के लिए करना होता है इतना सब
ज़्यादातर समय हमने यही सुना है की उस समय की फिल्में आज की फिमों के मुकाबले ज़्यादा अच्छी होती थी और इसमें कोई अश्लीलता नहीं होती थी. लेकिन ऐसा नहीं है, इस समय जो फिल्में बनती थी उसके ऑडिशन खुद डायरेक्टर लेते थे और वे ऑडिशन पे आयी महिलाओं को अपने सामने ही कपड़े बदलने को बोलते थे. जी हाँ, इस समय वे ऑडिशन के लिए घर से त्यार होकर नहीं आती थी बल्कि वो डायरेक्टर के सामने ही त्यार होती थी और डायरेक्टर उन्हें हर जगह से परखते थे, उनकी बॉडी, उनका चलना वगेरा.
आसान नहीं होता था फिल्मों में रोल पाना
आपको लगता होगा की उस समय फिल्मों में रोल पाना बहुत ही आसान होता था, लेकिन ऐसा नहीं है. यह पुराने समय से ही चल रहा है की ऑडिशन के लिए जब महिलाएं आती थी तो उनके लिए रोल पाना बहुत ही आसान था, लेकिन आपको बता दे की यह आसान कभी भी नहीं था. रोल पाने के लिए आपको कई सवालों की श्रृंखला से भी गुज़रना होता था.
ऑडिशन के लिया पहुंची लड़कियों के रोल पाना एक बहुत ही बड़ी चुनौती होता था. आपको देसी और वेस्टर्न दोनों ही लुक में ऑडिशन देना होता था, और उस वक़्त डायरेक्टर आपकी हर एक चीज़ को काफी बारीकी से देखते थे.
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