बिहार की रेखा देवी जो की गोपालगंज की रहने वाली हैं, इन्होने अपने आप तो मुषर्रम की खेती कर अपने लिए रोज़गार और परिवार के लिए आर्थिक सहायता का जरिया ढूंढा पर साथ ही इस महिला ने अपने साथ कई अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया. 50 वर्षीय रेखा कुमारी अपने फार्महाउस में मशरूम की तीन किस्मों की खेती करती हैं और अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण देती हैं. जानकारी के मुताबिक़ इस महिला ने करीब 500 लोगों को इस खेती का ज्ञान दिया है, और इसमें करीब 50 लोग ऐसे हैं जिन्होंने इस खेती का और इससे होने वाली आमदनी का महत्त्व समझा और यह कार्य शुरू किया.
कुछ इस प्रकार मशरूम की खेती करती हैं बिहार की रेखा देवी
मशरुम हम सभी की पसंदीदा सब्ज़ी है. और इसकी खेती से भी लोग बहुत पैसे कमाते हैं. गोपालगंज जिले के हथुवा की निवासी, रेखा देवी ने 2013 में सिर्फ ₹1,000 के साथ मशरुम की खेती की शुरुआत की और समस्तीपुर में राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा से बारीकियां सीखते हुए छह कमरों (लगभग 1,500 वर्ग फुट) में बटन, ऑयस्टर और मिल्की मशरूम की खेती की। आज, वो दावा करती हैं की वो रूपये 3-4 लाख के बीच कमाती है। उन्होंने बताया की कोरोना काल के दौरान उनका मुनाफा नीचे गया, लेकिन यह पांच डिजिट के नीचे कभी नहीं गया. रेखा ने अपने साथ छः महलाओं को रोज़गार दिया है.
इन सब चीज़ों पर भी काम रही हैं रेखा
वह बीज उत्पादन के अलावा मशरूम की तीन अन्य प्रजातियों हेरिकियम, शीटकेक और पैडी स्ट्रॉ पर भी ध्यान दे रही है. रेखा ने जेपी विश्वविद्यालय, छपरा से अर्थशास्त्र में स्नातक किया है और वह कहती हैं की कृषि मशरूम की खेती के लिए नमी के स्तर के समायोजन, निर्णय, गणना और निगरानी, क्रॉस-वेंटिलेशन और अच्छे परिणाम के लिए प्रकाश से उपज की स्क्रीनिंग की बहुत आवश्यकता होती है. यह बहुत ही धैर्य से काम करने वाला काम है.
साल भर में, कुमारी ने अपनी उपज की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए समोसा, अचार, बिस्कुट, नमकीन, गुलाब जामुन और मशरूम के साथ लड्डू बनाना भी सीखा है और छह महिलाओं को भी काम पर रखा है. रेखा बताती हैं की उन्हें उनके पति ने ही इस बिज़नेस पर काम करने की सलाह दी थी और उनका होंसला भी बढ़ाया था.
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